ज्ञान प्राप्ति मानव का स्वाभाविक गुण है। प्रकृति की ओर से यह गुण केवल मनुष्य को ही प्रदान किया गया है। वह ज्ञान कैसा? कहां से प्राप्त हो? इस गूढ रहस्य को प्रत्येक प्राणी नहीं समझ सकता। कोई विरला भाग्यवान् इस वास्तविक ज्ञान अर्थात् आत्मिक कल्याण की ओर उन्मुख होता है। सन्त महापुरूष अपनी वाणियों द्वारा जीव को जागरूक करते हैं तथा उस वास्तविक ज्ञान का प्रकाश देते हैं, जो सत्यं, शिवं तथा सुन्दरं है अथवा जिसे आत्म-ज्ञान, आत्म-कल्याण कहते हैं।
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