झूठी काया झूठी माया, झूठा यह संसार।
झूठ-झूठे नेह लगाया, विसरया करतार।।
किस नाल कीजै दोस्ती, सब जग चलनहार।
सत्तनाम का सुमिरण कर ले, भव से हो जाये पार।।
अर्थ :- सन्तों की वाणी है कि यह जो भी हम अपने चारों ओर सांसारिक प्रपंच देख रहे हैं अर्थात् यह मेरा शरीर, धन-दौलत, शारीरिक सुख ऐश्वर्य आदि, यह सब नश्वर हैं, मिट जाने वाले हैं। इनसे मन का सम्बन्ध जोडकर हमने उस मालिक को भुला दिया है जो इस सृष्टि का रचयिता है। ऐ जीव! सत्तनाम का सुमिरण कर ले जिससे तू इस संसार सागर से पार हो जायेगा।
False body, false maya, this world is false.
Lies and liars lied, disliked Kartar.
Kis Naal Ki Jai friendship, all the worlds are alive.
Remember the name of Satnaam, get across from Bhava.
Meaning:- It is said by the sages that whatever these worldly phenomena we are seeing around us, that is, my body, wealth, physical pleasures, opulence etc., all these are mortal, are going to be destroyed. By associating the mind with them, we have forgotten the Master who is the creator of this world. O creature! Recite the name of Satnaam by which you will cross over the ocean of this world.
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