नदी में पानी मीठा रहता है क्योंकि वो देती रहती है।
सागर का पानी खारा रहता है क्योंकि वो लेता रहता है
नाले का पानी दुर्गन्ध पैदा करता है क्योंकि वो रूका रहता है
अपना जीवन भी वैसा ही है।
देते रहेंगे तो मीठे लगेंगे।
लेते रहेंगे तो खारे लगेंगे।
रूके रहेंगे तो बेचारे लगेंगे।
इसलिए मनुष्य का कर्तव्य हो जाता है कि परोपकार की भावना मन में पैदा करें और निरन्तर उस पर अग्रसर रहें।
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