तारीख तुम्हें बतलायेगी,
दुनिया में खुशी का नाम नहीं।
जिस दिल पे हवस का सिक्का है,
उस दिल के लिये आराम नहीं।।
जो दिल हवस से पाक हुआ,
दुःख दर्द सब उसका दूर हुआ।
जिस दिल में नाम की लगन लगी,
वह खुशियों से भरपूर हुआ।।
अर्थ :- सन्तों की वाणी है कि ऐ मनुष्य! एक समय आयेगा जब तुम्हें मालूम होगा कि इस संसार में सुख है ही नहीं। जिस दिल में सांसारिक इच्छाओं ने अपना अधिकार किया हुआ है उस दिल में संतोष आ ही नहीं सकता।
जिसने अपने दिल को प्रभू नाम सुमिरण से पवित्र कर लिया है, वहां से सब दुख दर्द दूर हो जाते हैं और प्रभू नाम की कमाई से उस दिल में सदैव खुशियां ही खुशियां छा जाती हैं।
सन्तों की वाणियों का सारांश यह है कि संसार में केवल एक ही सार वस्तु है, और वो है प्रभू का नाम उनका चिन्तन। प्रभू नाम में ही सारे सुख समाये हुए हैं। इसके अतिरिक्त जो भी संसार की रचना दिखाई दे रही है वह सब नश्वर है, नष्ट हो जाने वाली है, तो उसमें सुख क्योंकर मिलेगा।
प्रभू नाम शाश्वत है, सदा रहने वाली चीज है और परलोक में भी जीव के साथ रहता है। इसकी कमाई ही जीव की असली पूंजी है, इसलिये प्रत्येक जीव का कर्तव्य हो जाता है कि मनुष्य शरीर धारण करके अपनी जीवात्मा का कल्याण करे, जिसके लिये वह इस संसार में आया है।
Will tell you the date
There is no name of happiness in the world.
The heart on which is the coin of lust,
No rest for that heart.
The heart which is purified from lust,
All his pain and sorrow went away.
The heart in which the name is attached,
He was filled with happiness.
Meaning:- It is the speech of the saints that O man! A time will come when you will know that there is no happiness in this world. Satisfaction can never come in the heart in which worldly desires have taken possession.
One who has sanctified his heart with the name of Lord Sumiran, from there all sorrows and pains go away, and by earning the name of Prabhu, there is always happiness in that heart.
The summary of the words of the saints is that there is only one essence in the world, and that is their contemplation of the name of the Lord. All happiness is contained in the name of the Lord. Apart from this, whatever the creation of the world is visible, it is all mortal and is about to be destroyed, so why would one find happiness in it.
The name of Lord is eternal, everlasting thing and remains with the soul even in the hereafter. Its earning is the real wealth of the living being, therefore it becomes the duty of every living being to assume the welfare of his soul by imbibing the body, for which he has come in this world.
@janjagran
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