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बडे भाग्य से मानुष देही पाई। नाम सुमिर ले जो चाहे भलाई।। With great luck he got a human body.

bade bhag manush tan pava

बडे भाग्य से मानुष देही पाई। नाम सुमिर ले जो चाहे भलाई।। विषयों में फंसकर जन्म मत गंवाना। नहीं तो पडेगा अन्त पछताना।।

दरगाह में होगी बडी शर्मसारी।

उठायेगी रूह तेरी कष्ट भारी।।

मिल साध संगत कर नाम की कमाई।

कटे जिससे तेरी चौरासी की फाही।।


अर्थ :- सन्तों की वाणी है कि ऐ मनुष्य! तुझे यह मनुष्य जन्म रूपी अवसर बडे भाग्यों से प्राप्त हुआ है। इस सुनहरी मौके को पाकर ईश्वर का भजन कर ले इससे तेरी आत्मा का कल्याण होगा। इसके विपरीत केवल शारीरिक सुख सुविधाओं में ही लगकर सम्पूर्ण जीवन को व्यर्थ मत गंवा नहीं तो तेरी आत्मा को अन्त में बडे भारी दुखों का सामना करना पडेगा। 

सन्तों की शरण लेकर ईश्वर नाम की कमाई कर ले जिससे तेरी आत्मा का चौरासी का बन्धन कट जाये।


With great luck he got a human body.

Take the name Sumir whatever you want.

Don't lose your birth by getting stuck in subjects.

Otherwise you will have to regret in the end.

There will be a lot of shame in the dargah.

The soul will lift your suffering.

Earn name by doing company.

Cut off your eighty-fourth's lap.


Meaning:- It is the speech of the saints that O man! You have got this human birth opportunity with great fortunes. Get this golden opportunity and worship God, this will benefit your soul. On the contrary, do not waste your whole life by engaging only in physical comforts, otherwise your soul will have to face great sorrows in the end.

Take shelter of the saints and earn the name of God so that the eighty-four bondage of your soul is cut off.





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