Bhagwan Budh Kaun the?
जब भगवान बु़द्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ तो वह एक दिन अपने राज्य में गए। भगवान बुद्ध को देखकर वहां सब लोग इकट्ठा हो गये परन्तु यशोधरा कहीं दिखाई न दी। अन्ततः भगवान बुद्ध राजमहल की ओर चल दिये। राजमहल में पहुंचकर उन्होंने यशोधरा को पूछा तुम वहां क्यों नहीं आयी यशोधरा ने प्रश्न किया स्वामी पहले मुझे ये बताओ कि आप रात के अंधेरे में मुझे अकेला छोडकर क्यों चले गये ? मैं भी आपके साथ जाती। भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया यशोधरा मुझे इस बात का ज्ञान हो गया है यही बताने के लिये तो मैं आज तुम्हारे पास आया हूं सुनो :-
पूर्व जन्म में मैं और तुम दोनों एक वन में शेर और शेरनी के रूप में बडे आनन्द से रह रहे थे।
एक दिन उस वन प्रदेश में एक दूसरा शेर आ गया। मेरे क्षेत्र में आने के कारण उसका और मेरा घोर युद्ध हुआ। आखिर उसका पलडा भारी रहा और मैं बुरी तरह घायल होकर कराह रहा था और तू विजयी शेर के साथ चल दी। जैसा शेरनी का स्वभाव होता है। मैं घायल अवस्था में पडा कातर आंखों से वह नजारा देखता रहा। मेरे दिल को गहरा आघात लगा और मेरे प्राण निकल गये। यशोधरा यह ज्ञान आज मुझे प्राप्त हुआ है और मैं तुम्हें बताने के लिये आ गया।
इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक कर्म का फल मनुष्य को भोगना पडता है। अतः मनुष्य को बडे विचारपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करना चाहिये।
0 टिप्पणियाँ