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Part of Guru Glory : सब परबत स्याही करूँ, घोलूँ समुँदर जाय।

Part of Guru Glory :


sab dharti kagad karu

सब परबत स्याही करूँ, घोलूँ समुँदर जाय। 
धरती का कागद करूँ, गुरू गुण लिखा न जाय।।
 


गुरू की अस्तुति कहँ लौ कीजै। बदला कहा गुरू कूँ दीजै।। 
गुरू का बदला दिया न जाई। मन में उपजत है सकुचाई।। 


इन नैनन जिन राम दिखाये। बंधन कोटि काटि मुक्ताये।। 
अभय दान दीनन कूँ दीन्हे। देखत आप सरीखे कीन्हे।। 


गुरू की कृपा अपरम्पारे। गुन गावत मम रसना हारे।। 
सेस सहस मुख निसदिन गावैं  गुरू अस्तुति का अन्त न पावैं ।। 


मौन गहूँ अस्तुति कहा करऊँ, बार बार चरनन सिर धरऊँ।
चरणदास महिमा अधिकाई, सर्बस वारै सहजो बाई।।


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