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Do Din Jag Me Jeena Hai Itne Par Kyon Itrate Ho?

do din jag

दो दिन जग में जीना है,  इतने पर क्यों इतराते हो। 
मेरी काया मेरी माया,              शोर मचाते जाते हो।।

 

साथ नहीं हरि नाम लियाऔर गफ़लत में दिन रात कटे। 

काया भी बदनाम करी,       अफ़सोस कि खाली हाथ चले।। 

सन्त कहते हैं ऐ जीव! इस संसार में केवल दो दिनों का जीवन है। इस दो दिन के जीवन में तू किस बात पर फूला फिरता है और कहता है यह मेरा शरीर है, यह मेरा धन है, यह मेरा परिवार है और मैं इन सब का मालिक हूँ, सो यह तेरी बड़ी भूल है। तेरी अपनी वस्तु तो केवल एक भगवान् का नाम था उसको तो तूने साथ लिया नहीं और दिन रात अचेतता के अन्दर बिता दिये। इसलिये तेरी हालत पर अफ़सोस है कि तूने इस मानुष चोले को भी बदनाम किया और अन्त में खाली हाथ संसार से चल बसा।


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