बड़ी खुशकिस्मती से मिली तुझे यह जिंदगी। इस जिंदगी को पाकर कर ले मालिक की बंदगी।।
अगर की न बंदगी तो किया ही क्या?
ऐशो-इशरत में गया वक्त फिर हाथ आया ही क्या।।
यह जन्म नहीं मिला यूँ ही गंवाने के लिए।
यह गनीमत वक्त मिला है प्रभु को पाने के लिए।।
अगर की न बंदगी तो किया ही क्या?
ऐशो-इशरत में गया वक्त फिर हाथ आया ही क्या।।
यह जन्म नहीं मिला यूँ ही गंवाने के लिए।
यह गनीमत वक्त मिला है प्रभु को पाने के लिए।।
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